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DRDO बना रहा अर्जुन के धनुष सरीखा हथियार, जो कहलाएगा वर्ल्ड की बेस्ट मिसाइलों में से एक!

Astra MK 3 Gandiva missile: DRDO नई मिसाइल Astra MK-3 'गंडीव' बना रहा है, जो भारतीय वायु सेना को हवाई युद्ध में मजबूती देगी. यह मिसाइल 4.5 मैक की रफ्तार से 340 किमी तक लक्ष्य भेद सकती है. गंडीव में SFDR तकनीक है, जो हवा से ऑक्सीजन लेकर मिसाइल को तेज और हल्का बनाती है. DRDO चार 2D एयर इनटेक सेट बना रहा है.

DRDO बना रहा अर्जुन के धनुष सरीखा हथियार, जो कहलाएगा वर्ल्ड की बेस्ट मिसाइलों में से एक!
  • गांडीव मिसाइल 2030 तक पूरी होगी
  • Astra MK-3 ही कहलाती है गांडीव
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Astra MK 3 Gandiva missile: भारत का रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन-DRDO नए-नए हथियारों को ईजाद करके भारत की मिलिट्री पावर में इजाफा करने का काम करता है. अब DRDO एक नई और शक्तिशाली मिसाइल Astra MK-3 बना रहा है, जिसे 'गांडीव' नाम दिया गया है. यह नाम महाभारत में योद्धा अर्जुन के धनुष का था. Astra MK-3 ही गांडीव है, जो भारतीय वायु सेना यानी IAF को हवा में होने वाली लड़ाई में नई ताकत देगी. गांडीव लंबी दूरी तक दुश्मन के विमानों को निशाना बना पाएगी और दुनिया की सबसे बेहतर मिसाइलों में से एक होगी. माना जा रहा है कि यह चीन की PL-15 और अमेरिका की AIM-174 से भी बेहतर होगी.

4.5 मैक की रफ्तार
गांडीव में सॉलिड फ्यूल डक्टेड रैमजेट-SFDR तकनीक का इस्तेमाल है. इसका मतलब है कि यह तकनीक मिसाइल को हवा से ऑक्सीजन लेकर तेजी से उड़ने में मदद करती है. यह 4.5 मैक की रफ्तार यानी ध्वनि से साढ़े चार गुना तेज तक जा सकती है. गांडीव 20 किलोमीटर ऊंचाई पर 340 किलोमीटर तक और 8 किलोमीटर ऊंचाई पर 190 किलोमीटर तक के लक्ष्य को निशाना बना सकती है. यह दुश्मन के लड़ाकू विमान, रिफ्यूलिंग विमान और AWACS को आसानी से नष्ट कर सकती है.

 2D एयर इनटेक बना रहा DRDO
DRDO गांडीव के रैमजेट इंजन के लिए चार सेट 2D एयर इनटेक बना रहा है. यह एयर इनटेक इंजन में हवा को सही तरीके से पहुंचाता है, ताकि इंजन अच्छे से काम करे. यह हिस्सा मिसाइल की स्पीड और ऊंचाई पर स्थिरता के लिए जरूरी है. इन सेट्स को बनाने का काम मिसाइल के शुरुआती मॉडल और टेस्टिंग के लिए है. DRDO ने जमीन पर इंजन टेस्ट और Su-30MKI विमान पर शुरुआती परीक्षण सफलतापूर्वक किए हैं. 2D एयर इनटेक के निर्माण से मिसाइल की टेस्टिंग को और बेहतर करने में मदद मिलेगी.

2030 तक IAF में हो सकती है शामिल
गांडीव मिसाइल 2030 तक पूरी तरह तैयार होकर भारतीय वायु सेना में शामिल हो सकती है. इसके लिए अभी टेस्टिंग और सुधार किए जाएंगे. 2D एयर इनटेक का सफल निर्माण और टेस्टिंग मिसाइल की SFDR तकनीक को सही साबित करने में अहम होगा. गांडीव के आने से भारतीय वायु सेना की ताकत बढ़ेगी और वह किसी भी हवाई चुनौती का सामना कर सकेगी.

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